
दोस्तों कहते हैं कि कल पर टाली हुई चीज का कल कभी नहीं आता या फिर ऐसा भी कह सकते हैं कि कोई काम जिसे आज करना आवश्यक है पर उसे दिन-ब-दिन टालना कल, परसों ,नर्सों फिर अंत में कभी नहीं. और यही आदत मनुष्य के लिए कई बार बिकट परिस्थिति पैदा कर देती है और फिर आखिर में यही सोचता है कि काश यह काम पहले समय पर कर लिया होता तो आज यह परिस्थिति नहीं देखने मिलती.दोस्तों क्या आपने कभी सोचा है की कल पर टालने की आदत कैसे आती है? क्या यह केवल काम को टालने की आदत बनती है या फिर जीवन पर भी इसका प्रभाव पड़ता है ?और यह आदत को कैसे समाप्त किया जा सकता है? दोस्तों आपके यही सब प्रश्नों के उत्तर को हम आज सुलझ आएंगे ताकि कल उलझना ना पड़े.
विस्तार-
दोस्तों मैं इस विषय को एक छोटी कहानी के माध्यम से समझाने का प्रयास करूंगा.
एक समय की बात है जब एक गांव में गुरु और उसका शिष्य रहा करते थे. गुरु अपने शिष्य से अत्यधिक प्रेम करते थे .गुरु शिष्य को हर तरीके का गुण देना चाहते थे पर शिष्य बहुत आलसी और हमेशा कल पर टालने वाला आदत का था। इस आदत से गुरुजी भली-भांति परिचित थे ,उनको हमेशा यह डर सताए रहता था की इस प्रकार के व्यक्ति का जीवन बहुत दुखदाई और कठिनाई से भरा होता है और अंत में ऐसा व्यक्ति पश्चाताप से भरा जीवन व्यतीत करता है .गुरु ऐसा अपने शिष्य के साथ नहीं चाहते थे इसलिए उन्होंने शिष्य को सीख देने के लिए एक योजना बनाई। गुरु एक दिन कहीं दूसरे गांव काम से जाने वाले थे उन्होंने शिष्य को कहा की “आश्रम से थोड़ी दूर पर एक जादुई पत्थर मैंने रखा है तुम जाकर उसे ले लेना फिर तुम जिस चीज से छुओगे वह सोने की बन जाएगी पर यह काम तुम्हें मेरे कल आने से पहले करना होगा क्योंकि फिर मैं बाद में नहीं दूंगा” यह बात कह कर गुरुजी वहां से चले गए शिष्य काफी खुश था वह तो सपने संजोने लगा था कि उसके पास सोने का भंडार होगा ,धन धान्य से परिपूर्ण होगा ,किसी भी चीज की कमी नहीं होगी . उसने सोचा चलो पहले भोजन कर लिया जाए फिर उसके बाद जाया जाएगा .भोजन करने के बाद वह सोचता है कि चलो थोड़ा सो लिया जाए अभी तो शाम बाकी है ,वह खाने के बाद काफी गहरी नींद में सो जाता है और उसकी नींद सीधे सुबह खुलती है ,शिष्य घबराते हुए जल्दी से पत्थर लेने के लिए निकलता है पर उसे गुरुजी रास्ते में ही मिल जाते हैं। वह गुरु जी से थोड़ा और समय मांगता है और रोने गिड़गिड़ाने लगता है पर गुरु जी नहीं मानते जब शिष्य आश्रम आता है तो विचार करता है कि उसका समय को टालने का उसके जीवन पर बुरा प्रभाव हुआ .वह यह समझ जाता है की गुरु जी ने उसे यह सीख देने के लिए नाटक रचा था.
दोस्तों हमें यह कहानी से सीख मिलती है कि जीवन में हर किसी को एक से बढ़कर एक अवसर मिलते हैं , पर कई लोग इन्हें बस अपने आलस्य के कारण गवां देते हैं. यदि आप सफल, सुखी, भाग्यशाली, धनी अथवा महान बनना चाहते हैं तो आलस्य को त्यागकर, अपने अंदर विवेक, श्रम,और सतत् जागरूकता जैसे गुणों को विकसित कीजिये और जब कभी आपके मन में किसी आवश्यक काम को टालने का विचार आये तो स्वयं से एक प्रश्न कीजिये – “आज ही क्यों नहीं ?”
दोस्तों ,यह कहानी के माध्यम से हमने यह तो समझा की कल पर टालने की आदत कैसे आती है और इसका जीवन का प्रभाव भी पड़ता है. अब जानते हैं इसका दूसरा स्वरूप.
नजरअंदाज-
यह “कल पर टालने की आदत” का भीषण स्वरूप है. इससे एक नजरअंदाज करने की आदत उत्पन्न होती है और यह हमारे जीवन पर काफी बड़ा पश्चाताप भरा परिणाम छोड़ सकता है। नजरअंदाज करने की आदत से हम कुछ ऐसे चीजें ,बात ,संकेत आदि को भी नजरअंदाज करने लगते हैं जोकि हमारे जीवन पर प्रभाव डाल सकती हैं.अब यह आपको समझना है की ऐसी कौन सी चीज जो आप नजरअंदाज कर रहे हैं ? एक बात ध्यान दीजिएगा जब भी किसी भी ऐसी महत्वपूर्ण घटना को आपने नजरअंदाज किया है तो उसका अंत में परिणाम दुखदाई और पश्चाताप से भरा होता है और आप सोचते हैं कि काश पहले सही कदम उठाए रहते तो आज उस घटना को लेकर दुख नहीं जताना पड़ता.
उपाय-
दोस्तों अब आपको अपने सारे प्रश्नों का उत्तर तो मिल ही गया होगा तो चलो यह आखरी प्रश्न भी ना टाल कर निकालते हैं कुछ उपाय, बिंदु इस प्रकार है:-
* इस आदत का महत्वपूर्ण अंग है काम को आगे बढ़ाते जाना तो आप ऐसा कर सकते हैं कि जब भी आप को कुछ महत्वपूर्ण काम मिलता है तो उस से जुड़े व्यक्ति को आप बता दें कि आप कब तक इस काम को पूरा कर लेंगे और किस प्रकार करेंगे ताकि अगर आप समय से पीछे चल रहे हो ,या फिर काम को टाल रहे हो तो संभव ऐसा हो सकता है कि जिस व्यक्ति को आपने यह बात बताई थी ,वह आपको बार बार पूछेगा जिससे आप हमेशा सजग रहेंगे और काम को याद रखते हुए करते चलेंगे.
* आप किसी भी चीज पर महत्वपूर्ण काम को लिख ले और उसका समय निर्धारित करें और उसे ऐसी जगह चिपका ले जहां आपका ध्यान बार-बार पड़ता हो जैसे कि आईने के पास.
* आप मोबाइल में काम का रिमाइंडर भी लगा ले ताकि समय-समय पर आपको संकेत मिलते रहे.
* अगर आपको कोई ऐसी बात लगी जो नजर अंदाज करने योग्य नहीं है तो उसे टाले नहीं और प्रयास करें कि उस बात की आखिरी छोर तक जाएं ताकि समय से पहले परिणाम को अपने पक्ष में कर सके .
यह है कुछ कामगार उपाय यही छोटे-छोटे कदमों से ही आप इस बड़ी समस्या को समाप्त कर सकते हैं . कहते हैं कि
काल करे सो आज कर, आज करे सो अब ।
पल में प्रलय होएगी,बहुरि करेगा कब ॥
अर्थ :
कबीर दास जी समय की महत्ता बताते हुए कहते हैं कि जो कल करना है उसे आज करो और और जो आज करना है उसे अभी करो , कुछ ही समय में जीवन ख़त्म हो जायेगा फिर तुम क्या कर पाओगे !!