
CG Human Rights Commission: राजधानी रायपुर में एक शर्मनाक घटना सामने आई है। बड़े घर की महिला एक बच्ची को बेहतर परवरिश का हवाला देकर गोद लिया। इसके बाद वह बच्ची से नौकरानी जैसे काम करने लगी। घर का झाडू-पोंछा करवा रही थी। छत्तीसगढ़ मानव अधिकार की पहल पर बालिका को मुक्त करवाकर उसे संरक्षण के लिए माना शासकीय बाल गृह भेजा गया।
ज्ञात हो छत्तीसगढ़ मानव आयोग में एक आवेदिका द्वारा इस आशय की शिकायत दर्ज कराई गई थी कि गोद देने वाली संस्था ने आवेदिका से 45 हजार रुपये जमा कराए गए थे, जो आवेदिका को वापस दिलाया जाए। आयोग द्वारा उक्त प्रकरण में संज्ञान लेते हुए, कलेक्टर रायपुर से प्रतिवेदन आहूत किया गया। प्रकरण में कार्यालय कलेक्टर एवं अध्यक्ष जिला बाल संरक्षण समिति महिला एवं बाल विकास विभाग रायपुर ने जांचकर रिपोर्ट सौंपी।
बालिका को दत्तक गृह से लिए जाने के बाद सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा अनुवर्तन किए जाने पर, दत्तक माता से समन्वय स्थापित होना नहीं पाया गया। साथ ही बालिका डरी-सहमी थी, बालिका का स्कूल में भी प्रवेश नहीं करवाया गया। बालिका से घरेलू कार्य कराया जा रहा था। आवेदिका के अनुसार विधिवत गोदनामा लेने के उपरांत आवेदिका के विरुद्ध थाने में दत्तक बालिका को प्रताड़ित करने की झूटी रिपोर्ट थाने में दर्ज कराई गई है।
डरी-सहमी रह रही थी बालिका
प्रकरण में 10 सितंबर को जिला स्तरीय टास्क फोर्स टीम पंडरी थाने से एक उपनिरीक्षक एवं दो आरक्षक ने भी आवेदिका के घर पहुंचकर प्रकरण की जांच कि और पाया कि बालिका मैले फटे कपड़ों में डरी-सहमी मिली। जिसका पालन पोषण ठीक तरह से नहीं किया जा रहा था। टीम द्वारा बालिका का रेस्क्यू कर शासकीय बाल गृह माना रायपुर भेजा गया। विधिवत किशोर न्याय बालकों के देखरेख संरक्षण अधिनियम 2015 की धारा 75 के तहत प्रकरण दर्ज किया गया।
आयोग द्वारा उभयपक्षों को सुना गया, प्रकरण में आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष गिरिधारी नायक एवं सदस्य नीलमचंद सांखला ने, कार्यालय कलेक्टर से प्राप्त जांच प्रतिवेदन के अवलोकन के बाद सुरक्षा एवं संरक्षण के लिए बालिका को शासकीय बाल गृह, माना रायपुर में विधिवत आश्रय प्रदाय किया जाना सही पाया और प्रकरण को निराकृत किया।