
मादा भालू की जिद के आगे वन विभाग को पिंजरे में कैद हो चुके भालू के बच्चे को छोड़ना पड़ा। भालू के बच्चे के पिंजरे में कैद होने के बारह घण्टे बाद तक उसकी मां वहां से नही गई।पूरे समय वह पिंजरे के आसपास ही मंडराती रही।
बच्चे के प्रति मां के प्रेम और उसके उग्र तेवर को देखकर वन अधिकारियों-कर्मचारियों को हार माननी पड़ी।
शाम को पिंजरे को खोलना पड़ा। बच्चे को लेकर मां नजदीक के प्लांटेशन में चली गई। दरअसल जिला मुख्यालय सूरजपुर व आसपास के इलाके में पिछले कई महीनों से स्वच्छंद विचरण कर रहे तीन भालुओं में से एक को पिंजरे में कैद करने में वन विभाग को सफलता मिल गई थी। सूरजपुर से लगे ग्राम पर्री निवासी रामजतन कुशवाहा के घर से लगे बाड़ी में आंगनबाड़ी में वितरित किए जाने वाले रेडी टू ईट पोषण आहार खाने के चक्कर में भालू फंस गया। पहले वन विभाग ने उनकी आदत लगवाई और फिर योजनाबद्ध तरीके से पिंजरे में एक भालू को कैद कर लिया। शुक्रवार भोर में लगभग चार बजे भालू का बच्चा पिंजरे में कैद हुआ था।उसके बाद से उसकी मां और एक बच्चा बाहर घूमते रहे। डीएफओ बीएस भगत के नेतृत्व में वन विभाग का अमला रात से ही मौके पर डटा था। उम्मीद की जा रही थी कि दिन के उजाले में मादा भालू एक और बच्चे के साथ वापस चली जायेगी।अेसी स्थिति में पिंजरे में कैद भालू के बच्चे को तमोर पिंगला अभयारण्य क्षेत्र में छोड़ने की योजना बनाई थी।
लेकिन अेसा नहीं हो सका।भालू ,पिंजरे में कैद बच्चे को छोड़कर जाने को तैयार ही नहीं हुई।पूरे दिन वह पिंजरे के आसपास विचरण करती रही।पूरे दिन आसपास के घरों में लोगों का मजमा लगा रहा। इंसानी हलचल होते ही मादा भालू गुर्रा कर हमला करने के लिए दौड़ लगाती थी।इससे वन कर्मचारी भी पिंजरे तक पहुंच नहीं पा रहे थे।पिंजरा अेसे स्थान में लगा था जहां से उसे उठाना भी संभव नहीं था। मां के साथ मौजूद एक और बच्चा तो दोपहर में नजदीक के प्लांटेशन पहुंच गया था लेकिन मां वहीं डटी रही। आखिरकार शाम को यह निर्णय लेना पड़ा की भालू के बच्चे को पिंजरे से आजाद कर दिया जाए। लगभग बारह घण्टे बाद पिंजरे को खोल भालू के बच्चे को आजाद कर दिया गया। बच्चे को साथ लेकर मां वहां से नजदीक के प्लांटेशन में चला गया जहां पहले से ही एक बच्चा मौजूद था।
कई महीनों से विचरण कर रहे तीन भालू
जिला मुख्यालय सूरजपुर में पिछले दो-तीन महीनों से तीन भालू स्वच्छंद विचरण कर रहे थे। इसमें दो बच्चे भी थे जो अब बड़े हो गए हैं। जिला मुख्यालय सूरजपुर के भीतरी सड़कों में भालूओं के विचरण करने की तस्वीर कई बार सीसीटीवी कैमरे में भी कैद हुई थी। भालू सूरजपुर के अलावा आसपास के ग्रामीण इलाकों में भी विचरण करते थे। स्वच्छंद विचरण से लोग दहशत में थे।रात में लोग घरों से बाहर निकलने से भी डरते थे।
रेडी टू इट का लालच देकर फंसाया
इसी बीच वन विभाग को सूचना मिली कि जिला मुख्यालय सूरजपुर से लगे ग्राम पर्री
में एक घर में समूह से जुड़ी महिलाओं द्वारा रेडी टू ईट पोषण आहार बनाया जाता है। भालू अक्सर वहां आते हैं।इस जानकारी के बाद डीएफओ बीएस भगत के नेतृत्व में वन अधिकारी, कर्मचारियों ने योजना बनाई की घर से लगे बाड़ी में रेडी टू ईट का आहार रखा जाए।कम मात्रा में प्रतिदिन चना, गुड़, मूंगफली का दाना रखा जाने लगा जिससे भालुओं की आदत हो गई।
और जाल में फंस गया भालू का बच्चा
भालू पिछले कई दिनों से रात को वहां आते थे और चना गुड़ मूंगफली का दाना खाकर वापस लौट जाते थे। जब वन अमले को विश्वास हो गया कि भालू अब यहां निश्चित रूप से आएंगे तब उन्हें पिंजरे में कैद करने की योजना बनाई गई। योजना के तहत ग्राम पर्री के उसी घर की बाड़ी में गुरुवार की रात को एक पिंजरा लगाया गया। पिंजरे में भालू के पसंदीदा आहार रखे गए। रात को भालू फिर वहां पहुंचे। वन अमला निगरानी में लगा हुआ था भोर में एक भालू पिंजरे में कैद हो गया। वन अमले को विश्वास था कि सुबह उजाला होने के बाद दोनों भालू वहां से चले जाएंगे लेकिन अेसा नहीं हुआ।
ट्रेंक्यूलाइज करने नहीं मिली अनुमति
पिंजरे में कैद भालू के बच्चे के नजदीक विचरण कर रही मादा भालू को ट्रेंकुलाइज करने की योजना पर भी विचार शुरू हो गया था। यह तय किया गया था कि मादा भालू को ट्रेंकुलाइज कर पिंजरे में कैद भालू के साथ उसे भी तमोर पिंगला अभ्यारण क्षेत्र में छोड़ दिया जाए लेकिन एक और भालू का बच्चा घटनास्थल के आसपास ही विचरण कर रहा था। ऐसी परिस्थिति में सुरक्षा के दृष्टिकोण से यह उचित नहीं था ट्रेंकुलाइज करने के अनुमति भी नहीं मिली जिस कारण भालू के बच्चे को छोड़ना पड़ा।
हमने काफी इंतजार किया कि भालू की मां वहां से हट जाए लेकिन ऐसा नहीं हो सका। पूरे दिन वह पिंजरे में कैद भालू के आसपास मंडराती रही। यह स्थिति सुरक्षा के लिए ठीक नहीं था। आखिरकार हमने निर्णय लिया कि भालू के बच्चे को छोड़ दिया जाए। पिंजरे को उठा कर ले जाने की व्यवस्था भी नहीं बन पा रही थी। आखिरकार भालू के बच्चे को छोड़ना पड़ा। हमने चार पिंजरे की व्यवस्था की है।हमारी योजना है कि एक साथ तीनों भालू को पिंजरे में कैद किया जाए। हम इस योजना पर अब काम करना शुरू कर चुके हैं। विशेषज्ञ से भी राय ली जा रही है।