
Atal Bihari Vajpayee Birth Anniversary भारत रत्न और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का आज 25 दिसंबर को जन्म दिवस है। उनका जन्म 25 दिसंबर, 1924 में मध्य प्रदेश के ग्वालियर के एक छोटे से गांव में हुआ था।
देश की राजनीति में सक्रीय रहे अटल बिहारी वाजपेयी एक अच्छे नेता होने के साथ-साथ वे एक पत्रकार और कवि भी थे। वे कविता के जरिए हर बात को बेबाक अंदाज से कह दिया करते थे। देशभर में उनका जन्मदिवस मनाया जा रहा है। इसे भारत सरकार सुशासन दिवस के रूप में मना रही है। झारखंड के लिए यह दिन बहुत ही खास है। इसलिए कि अगर अटल बिहारी वाजपेयी ने होते तो शायद झारखंड राज्य का निर्माण न होता। उनकी एक राजनीतिक कला थी-आम राय। इस व्यवहारिक राजनीति के बदौलत ही उन्होंने एक झटके में झारखंड समेत तीन राज्यों का निर्माण कर डाला। कहीं भी विरोध की एक आवाज तक नहीं उठी।
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वाजपेयी की रणनीति के आगे लालू की नहीं चली
बिहार का विभाजन कर अगल झारखंड राज्य का निर्माण हुआ। राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव बिहार विभाजन के विरोध में थे। उन्होंने मुख्यमंत्री रहते यहां तक एलान कर डाला था कि उनकी लाश पर ही बिहार का विभाजन होगा। जब अलग झारखंड राज्य बना तो लालू प्रसाद यादव की पत्नी राबड़ी देवी बिहार की मुख्यमंत्री थीं। लेकिन वाजपेयी की समावेशी राजनीति और रणनीति के कारण लालू की नहीं चली। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की खासियत थी कि वह राजनीति में व्यावहारिक आम राय बनाते थे। यह उस वक्त भी साबित हुआ था जब उनकी सरकार में शांतिपूर्ण ढंग से तीन नए राज्यों – छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और झारखंड – का गठन हुआ था। छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और झारखंड का गठन क्रमश: एक नवंबर, नौ नवंबर और 15 नवंबर 2000 को हुआ था। छत्तीसगढ़ को मध्य प्रदेश, उत्तराखंड को उत्तर प्रदेश और झारखंड को बिहार से अलग कर राज्य बनाया गया था।
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तब आडवाणी ने वाजपेयी की काबिलियत की तारीफ की थी
झारखंड राज्य निर्माण के बाद बीजेपी के वरिष्ठ नेता और तत्कालीन गृह मंत्री लाल कृष्ण आडवाणी ने भी बगैर किसी परेशानी के तीनों राज्यों के गठन के लिए वाजपेयी की काबिलियत की तारीफ की थी। उन्होंने एक ब्लॉग में लिखा था, ‘वाजपेयी जी के कार्यकाल में एनडीए ने तीन बड़े राज्यों – मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार – को विभाजित कर तीन नए राज्य – छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और झारखंड – बनाए थे और कोई परेशानी नहीं हुई थी।
झारखंड नामधारी दल बेचते रहे आंदोलन और भाजपा ने पूरा किया वादा
देश की आजादी के समय से ही अलग झारखंड राज्य निर्माण की मांग होती रही। झारखंड नामधारी दलों के आंदोलन के दाैरान कई बार ऐसा लगा कि अब राज्य का निर्माण होने ही वाला है। लेकिन झारखंड नामधारी दलों के नेताओं ने केंद्र सरकार से समझौता कर राज्य निर्माण की मांग को ठंडे बस्ते में डालते रहे। लेकिन भाजपा को माैका मिला तो वादा पूरा कर डाला। 1980 में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना हुई। अलट बिहारी वाजपेयी इसके पहले अध्यक्ष बने। 1984 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की करारी हार हुई। इसके बाद झारखंड क्षेत्र में भाजपा का जनाधार बढ़ाने के लिए यहां के नेताओं-इंदर सिंह नामधारी और समरेश सिंह ने अलग झारखंड राज्य की मांग को भाजपा के एंजेंडे में शामिल करने का सुझाव दिया। इस सुझाव को भाजपा ने अपने एजेंडे में शुमार किया। हालांकि नाम अलग था। झारखंड के बजाय भाजपा ने अलग वनांचल राज्य निर्माण के लिए आंदोलन शुरू किया। इस आंदोलन के बल पर भाजपा ने झारखंंड के आदिवासियों में अपनी पैठ बनाई। विश्वास दिलाया कि वह झारखंड नामधारी दलों की तरह अलग राज्य के आंदोलन को बेचेंगे नहीं। 1998 और 1999 के लोकसभा चुनाव में झारखंड क्षेत्र की 14 में 12 सीटें भाजपा जीत गई। केंद्र में भाजपा की सरकार बनी। अलट बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने। इसके बाद भाजपा ने अपना वादा निभाया।
अटल बिहारी वाजपेयी की जीवनी
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 में मध्य प्रदेश के ग्वालियर के एक छोटे से गांव में हुआ था। साधारण परिवार में जन्मे अटल बिहारी वाजपेयी के पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी अध्यापक थे और साथ ही वे महान कवि भी थे। जिसके चलते अटल बिहारी वाजपेयी को कवित्व का गुण अपने पिता से विरासत में मिला था।
अटल बिहारी वाजपेयी की प्रारंभिक शिक्षा ग्वालियर के ही विक्टोरिया (लक्ष्मीबाई ) कॉलेज और कानपुर के डीएवी कॉलेज में हुई थी। अटल बिहारी वाजपेयी ने राजनीतिक विज्ञान में स्नातकोत्तर किया था। अटल बिहारी वाजपेयी छात्र जीवन से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बने और तभी से राष्ट्रीय स्तर की वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में भाग लेते रहे। तीन बार भारत के प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी का 16 अगस्त 2018 को दिल्ली के एम्स में हो गया था।
अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने राजनीति जीवन की शुरुआत 1942 में उस समय की थी जब भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उनके भाई 23 दिनों के लिए जेल गए। सन् 1951 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहयोग से भारतीय जनसंघ पार्टी का गठन हुआ था। उस दौरान अटल बिहारी वाजपेयी की भूमिका श्यामाप्रसाद मुखर्जी जैसे नेताओं के साथ रही। अटल बिहारी वाजपेयी 1968 से 1973 तक भारतीय जनसंघ पार्टी के अध्यक्ष भी रहे।
अटल बिहारी वाजपेयी ने 1955 में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें इस चुनाव में सफलता हासिल नहीं हुई। 1957 में अटल बिहारी वाजपेयी को जनसंघ ने उत्तर प्रदेश के लखनऊ, मथुरा और बलरामपुर से लड़ाया। लेकिन वे लखनऊ और मथुरा से चुनाव हार गए और बलरामपुर सीट से चुनाव जीतकर लोकसभा में पहुंचे।
अटल बिहारी वाजपेयी मोरारजी देसाई की सरकार में सन् 1977 से 1979 तक विदेश मन्त्री रहे और विदेशों में भारत की छवि बनायी। लेकिन 1980 में अटल बिहारी वाजपेयी ने जनता पार्टी से नाखुश होकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की स्थापना की। अटल बिहारी वाजपेयी 6 अप्रैल 1980 को भाजपा के अध्यक्ष बने।
अटल बिहारी वाजपेयी दो बार राज्यसभा के लिये भी निर्वाचित हुए। अटल बिहारी वाजपेयी ने 16 मई से 1 जून तक 1996 को प्रधानमंत्री के रूप में देश की बागडोर संभाली।
इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने 19 मार्च 1998 से 10 अक्टूबर 1999 तक प्रधानमंत्री के रूप में देश की बागडोर संभाली। फिर इसके बाद 10 अक्टूबर 1999 से 2004 तक देश की बागडोर संभाली।
2004 से ही अटल बिहारी वाजपेयी ने शारिरिक अस्वस्थता के कारण सक्रिय राजनीति से सन्यास ले लिया। लंबी बीमारी के चलते अटल बिहारी वाजपेयी का 16 अगस्त 2018 को दिल्ली के एम्स निधन हुआ।
अटल बिहारी वाजपेयी इकलौते नेता थे जिन्होंने उत्तर प्रदेश के लखनऊ और बलरामपुर, गुजरात के गांधीनगर, मध्यप्रदेश के ग्वालियर और विदिशा और दिल्ली की नई दिल्ली संसदीय सीट से चुनाव जीता था।
अटल बिहारी वाजपेयी की प्रमुख रचनाएं
मृत्यु या हत्या
रग-रग हिन्दू मेरा परिचय
कैदी कविराय की कुण्डलियाँ
संसद में तीन दशक
अमर आग है
राजनीति की रपटीली राहें
बिन्दु बिन्दु विचार, इत्यादि।
मेरी इक्यावन कविताएँ
अमर बलिदान (लोक सभा में अटल जी के वक्तव्यों का संग्रह)
कुछ लेख: कुछ भाषण
सेक्युलर वाद
पुरस्कार
1992 : पद्म विभूषण
1993 : डी लिट (कानपुर विश्वविद्यालय)
1994 : लोकमान्य तिलक पुरस्कार
1994 : श्रेष्ठ सासंद पुरस्कार
1914 : भारत रत्न पंडित गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार
2015 : डी लिट (मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय)
2015 : ‘फ्रेंड्स ऑफ बांग्लादेश लिबरेशन वार अवॉर्ड’, (बांग्लादेश सरकार द्वारा प्रदत्त)
2015 : भारतरत्न से सम्मानित