
Booster Dose Latest Update: देश में कोरोना के मामले एक बार फिर तेजी से बढ़ रहे हैं. कोरोना के नए ओमिक्रॉन वेरिएंट के खतरों के बीच एक बार फिर नए केस ने कई राज्यों में रफ्तार पकड़ ली है.
कोरोना के बढ़ते खतरों को तीसरी लहर की आशंका के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को राष्ट्र के नाम संबोधन में एक तरफ जहां 15-18 साल के बच्चों के टीकाकरण (Vaccine For Children) की घोषणा की वहीं, दूसरी तरफ बुजुर्गों और फ्रंट लाइन वर्कर्स को बूस्टर डोज दिए जाने का भी ऐलान किया. प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) ने कहा कि 60 साल से अधिक उम्र के ऐसे बुजुर्ग एहतियाती खुराक (Booster Dose) ले सकते हैं, जो दूसरी गंभीर बीमारियों से ग्रसित हैं. बूस्टर डोज दिए जाने के ऐलान के बाद इस बात को लेकर हलचल शुरू हो गई कि तीसरी डोज आखिर किन बीमारियों से पीड़ित बुजुर्गों को दी जाएगी और इसके लिए उन्हें किस तरह के दस्तावेज दिखाने होंगे.
People above 60 years of age will need a 'comorbidities certificate' to take the COVID-19 precautionary dose: National Health Authority (NHA) CEO, Dr. R S Sharma
(file photo) pic.twitter.com/DF4KvUJvf2
— ANI (@ANI) December 26, 2021
लोगों के आ रही इस दुविधा का CoWIN प्लेटफॉर्म के प्रमुख और नेशनल हेल्थ अथॉरिटी (NHA) के सीईओ डॉक्टर आरएस शर्मा ने दूर कर दिया. न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में CoWIN प्लेटफॉर्म के प्रमुख ने बताया कि 60 साल से ज्यादा उम्र वालों को Booster Dose लगवाने के लिए को-मॉर्बिडिटी सर्टिफिकेट दिखाना होगा. टीकाकरण की बाकी प्रक्रियाएं पहले जैसी ही रहेंगी.
डॉक्टर आरएस शर्मा ने बताया कि को-मॉर्बिडिटी सर्टिफिकेट किसी रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर (चिकित्सक) द्वारा सत्यापित होना चाहिए. इस सर्टिफिकेट को कोविन पर अपलोड किया जा सकता है या फिर लाभार्थी इसकी कॉपी लेकर टीकाकरण केंद्र जा सकते हैं.’ डॉक्टर शर्मा ने बताया कि जब टीकाकरण के पहले चरण में 45 से 60 आयुवर्ग के किसी बीमारी से पीड़ित लोगों का टीकाकरण शुरू किया गया था, तब इससे जुड़े सर्टिफिकेट की जरूरतों को लेकर जानकारी प्रकाशित की गई थी. उसी फॉर्मूले पर अब 60 साल से ऊपर वालों को सर्टिफिकेट तैयार करवाना होगा.’
मालूम हो कि को-मॉरबिडिटी में 20 से अधिक तरह की बीमारियां शामिल हैं. इनमें डायबिटीज, किडनी की समस्या, दिल की बीमारी, स्टेमसेल ट्रांसप्लांट, कैंसर, सिरोसिस, एसिड अटैक के शिकार लोग, मदद पर निर्भर दिव्यांग, बहरेपन-अंधेपन या एक से ज्यादा अपंगता वाले लोग शामिल हैं.
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