
छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में एक गांव के लोगों ने अनोखी पहल शुरू की. यहां मुसूरपुट्टा गांव में सेना के जवानों के सेवा निवृत्त होने पर गांव में जोरदार तरीके से उनका स्वागत किया जाता है. इस परंपरा को गांव के लोगों ने पिछले कई सालों से बनाकर रखा है.
रिटायर्ड जवानों का होता है भव्य स्वागत
कांकेर जिले का एक ऐसा गांव है, जहां ग्रामीणों द्वारा रिटायर होकर आने वाले जवानों का भव्य स्वागत किया जाता है. इस बार मुसूर पुट्टा गांव के ग्रामीणों ने सेना के जवान राजेश सुरोजिया का भव्य स्वागत किया. रिटायर होकर आए जवान राजेश 21 सितंबर 2004 से बॉर्डर पर देश की सेवा कर रहे थे. अपनी सेवा के दौरान उन्होंने श्रीनगर, पठानकोट, पंजाब, असम और दिल्ली के अलग-अलग रेजीमेंट में काम किया.
गांव से 25 जवान सेना में
मुसूरपुट्टा गांव से अब तक 25 जवान सीमा पर देश सेवा में योगदान दे रहे हैं. यहां के ग्रामीणों का कहना है कि हमारे गांव के जवान देश की सरहद पर लड़ते हैं, इस दौरान वे दुश्मन की गोलियों के शिकार भी हो सकते हैं. लेकिन भगवान की दया से इस गांव के जवान हमेशा अपना सर्वोच्च योगदान देश को देकर सकुशल लौट आते हैं.
जवानों की घर वापसी को पूरा गांव जश्न की तरह मनाता है. उन्हें गांव की सरहद से गाजे-बाजे के साथ पूजा-अर्चना करते हुए घर तक छोड़ा जाता है. यही परंपरा सालों से चली आ रही है.