
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि ऋषियों ने आत्मा को संस्कृति से पहचानने का आधार बनाया। भारत की पहचान राजाओं से नहीं ऋषि-मुनियों से है। उन्होंने भारतीय संस्कृति को समृद्ध करने के लिए हजारों साल तक कठोर साधना की।
केरल के राज्यपाल ने एक सवाल के जवाब में कहा कि जिन्ना के दादा मुसलमान नहीं थे और पिता भी पक्की उम्र में मुसलमान हुए। भारतीय संस्कृति इतनी समावेशी है जहां रावण के खिलाफ उसके दुष्ट व्यवहार के लिए कार्रवाई होती है। दुनिया ने इस संस्कृति को अपनी सोच के तौर पर नहीं, जरूरत के तौर पर स्वीकार किया।
शनिवार को वाराणसी के रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में अखिल भारतीय संत समिति और गंगा महासभा की ओर से आयोजित संस्कृति संसद के दूसरे दिन प्रथम सत्र में राज्यपाल ने कहा कि भारत में सत्ता के लोगों को आधार नहीं बनाया गया, बल्कि ऋषि-मुनियों को आधार माना गया है। हमारा मानना है कि जीव में ही शंकर नजर आने चाहिए और मानव सेवा ही माधव सेवा है।
आध्यात्मिक संस्कृति की ही देन है कि स्वामी विवेकानंद का सम्मान विदेशों में हुआ था। मोहम्मद साहब ने कहा था कि मैं मक्के में जरूर निवास करता हूं भारत नहीं गया, लेकिन भारत के इल्म की शीतल हवा यहीं से महसूस करता हूं। सत्र की अध्यक्षता अखिल भारतीय संत समिति के अध्यक्ष आचार्य अविचल दास तथा संचालन अशोक श्रीवास्तव ने किया। स्वागत सांसद रूपा गांगुली ने किया।
11 से 16 वीं सदी के बीच मारे गए 10 करोड़ हिंदू प्रसिद्ध इतिहासकार कोनराड एल्स्ट ने ‘हिंदू होलोकास्ट हिंदू संस्कृति पर दो हजार वर्षों तक हुए हमले’ विषय पर कहा कि हिंदुस्तान में 636 ई. से हिंसक हमले शुरू हुए। इस हमले में 11वीं शताब्दी से लेकर 16वीं शताब्दी के शुरुआत तक लगभग 8 से 10 करोड़ हिंदुओं का नरसंहार हुआ। इतिहासकार विक्रम संपथ ने कहा कि भारतीय संस्कृति और हिंदुत्व पर हुए हमले से हमें सीख लेनी चाहिए।
सरकारें मस्जिद और चर्च में नहीं वरन मंदिर में करती हैं हस्तक्षेप विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि उपासना स्थल कानून को अचानक बना दिया गया था, लेकिन लोगों ने मन से इसे स्वीकार नहीं किया। इसे भी बदलना आवश्यक है। कुछ वामपंथी एनजीओ और चर्च द्वारा हिंदुओं में ऐसी भावना पैदा कर दी गई है कि हमें लगे कि हम ही गलत है।
सरकारें मस्जिद और चर्च में तो हस्तक्षेप नहीं करती लेकिन मंदिर में हस्तक्षेप करती है। अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि उपासना स्थल कानून को काला कानून बताया। वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि देश को विकास के लिए एक समान नागरिक संहिता आवश्यक है।
लार्ड मैकाले की शिक्षा पद्धति ने किया संस्कृति में छेद प्रो. वाचस्पति ने कहा कि लॉर्ड मैकाले शिक्षा पद्धति ने हमारी संस्कृति में ही छेद कर दिया है। हमारे वैदिक संस्कृति सभ्यता को पंगु बना दिया है। मैकाले शिक्षा पद्धति ने हमारे युवाओं को वेदों के बारे में न जानने के लिए अपनी शिक्षा नीति हम पर थोपी तथा फूट डालो और राज करो की नीति अपनाई। प्रो. राम किशोर त्रिपाठी ने कहा किसंक्रामक रोगों से लड़ने के लिए हमारे वेदों में पहले से ही भोजन को एकांत में करने की व्यवस्था बनाई गई है।
फिल्मों से गायब है भारतीय संस्कृति अभिनेता अखिलेंद्र मिश्र ने कहा कि फिल्मों से भारतीय संस्कृति गायब है। यह दु:खद है। वर्तमान समय में इसके कारण युवाओं पर कुप्रभाव पड़ रहा है तथा युवा अपराध की ओर बढ़ रहे हैं। जगदगुरु स्वामी राजराजेश्वराचार्य ने कहा कि आज के युवाओं को अपने वेदों का पाठ करना चाहिए और उन्हीं कहानियों से जुड़ी फिल्मों को देखना चाहिए।