
do not use paracetamol or pain killer after taking Covaxin
भारत बायोटेक ने कहा कि कोवैक्सिन लेने के बाद पैरासिटामोल या पेन किलर का इस्तेमाल जरूरी नहीं है। कंपनी ने बयान जारी कर कहा, ‘हमें जानकारी मिली है कि कुछ टीकाकरण केंद्रों पर बच्चों को कोवैक्सीन की डोज देने के बाद पैरासिटामोल के 500 एमजी की तीन गोलियां लेने को कहा जा रहा है.
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हमारी तरफ से कोवैक्सीन का टीका लगने के बाद कोई पैरासिटामोल या पेन किलर्स दवा लेने की सलाह नहीं दी जाती है.’कंपनी ने आगे कहा, ‘कुछ दूसरी कोविड वैक्सीन की डोज के साथ पैरासिटामोल लेने को कहा जा रहा है, लेकिन कोवैक्सीन का टीका लगवाने केबाद ऐसी कोई दवा लेने की सलाह नहीं दी जाती है.’
कंपनी ने बयान में यह भी बताया कि वैक्सीन की क्लीनिकल ट्रायल के दौरान 30,000 लोगों में से 10 से 20 फीसदी में साइड इफेक्ट देखने को मिला था. कंपनी ने कहा, ‘हमने करीब 30,000 लोगों पर क्लीनिकल ट्रायल किया, जिसमें करीब 10 से 20 फीसदी लोगों में साइफ इफेक्ट देखा गया. अधिकतर साइफ इफेक्ट के लक्षण हल्के थे, जो एक से दो दिनों में ठीक हो गए और इसके लिए किसी प्रकार की दवा की जरूरत नहीं पड़ी.’
No paracetamol or pain killers are recommended after being vaccinated with Covaxin: Bharat Biotech pic.twitter.com/hPMb3x2dX3
— ANI (@ANI) January 5, 2022
बच्चों के लिए टीकाकरण का अभियान तीन जनवरी से हुआ था शुरू
बता दें कि सरकार ने कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के खतरे को देखते हुए 15 से 18 साल के बच्चों के वैक्सीनेशन के लिए कोवैक्सीन के प्रयोग को मंजूरी दी है. इस उम्र के बच्चों के लिए टीकाकरण का अभियान तीन जनवरी से शुरू हो गया है. इसकी दो डोज बच्चों को दी जाएगी। पहले और दूसरे डोज के बीच 28 दिन का अंतर होगा. वहीं, भारत बायोटेक ने बच्चों पर कोवैक्सीन (BBV152) के फेज 2 और फेज-3 के क्लिनिकल ट्रायल के परिणाम भी जारी किए हैं. कोवैक्सीन के फेज-2 एवं 3 ट्रायल के डेटा जारी होने से दो साल तक की उम्र के बच्चों के भी कोरोना वैक्सीनेशन शुरू होने की उम्मीद है.
Intranasal के Phase-3 ट्रायल और बूस्टर परीक्षण को मंजूरी
ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) की ‘सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमिटी’ (SEC) ने भारत बायोटेक को अपने इंट्रानैसल वैक्सीन के लिए फेज 3 स्टडी और बूस्टर डोज (Booster Dose) की फेज 3 स्टडी के लिए ‘सैद्धांतिक रूप से’ मंजूरी दी है. DCGI ने भारत बायोटेक को अप्रूवल के लिए प्रोटोकॉल जमा करने को कहा है. बता दें कि कंपनी ने इंट्रानैसल वैक्सीन और बूस्टर डोज के क्लिनिकल ट्रायल के लिए आवेदन किया था. दुनियाभर में अब लोगों को बूस्टर डोज लगाई जा रही है, ताकि लोगों को कोरोना के नए वेरिएंट्स के खिलाफ सुरक्षा मिल सके. कंपनी ने उन लोगों के लिए बूस्टर डोज लगाने का प्रस्ताव दिया है जिन्हें पहले से ही कोविशील्ड (Covishield) और कोवैक्सीन (Covaxin) वैक्सीन लगाई गई है.
5000 लोगों पर क्लिनिकल ट्रायल करने का लक्ष्य
भारत बायोटेक का लक्ष्य 5,000 लोगों पर क्लिनिकल ट्रायल करना है. इसमें 50 फीसदी कोविशील्ड और 50 फीसदी कोवैक्सीन लगवाए हुए लोग शामिल होंगे. सूत्रों ने बताया है कि दूसरी डोज और तीसरी डोज के बीच में छह महीने का गैप हो सकता है. सूत्रों के अनुसार, अगर ट्रायल समय पर किए जाते हैं तो भारत को मार्च में इंट्रानैसल बूस्टर वैक्सीन मिलने की उम्मीद है. ऐसे में इससे कोरोना के खिलाफ लड़ाई और मजबूत होगी.
क्या है इंट्रानैसल वैक्सीन?
नोवेल एडेनोवायरस वेक्टर पर आधारित BBV154 कोविड-19 के खिलाफ एक इंट्रानैसल वैक्सीन है, जो IgG, म्यूकोसल IgA और टी सेल रिस्पांस को बेअसर करने के लिए इम्युन सिस्टम को तैयार करती है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह नोवल कोरोना के संक्रमण और फैलने दोनों को रोकने में कारगर है. चूंकि यह टीका सुई मुक्त है, इसलिए इससे चोटों और संक्रमणों का खतरा कम हो जाता है. इसके अलावा नैसल वैक्सीन को लगाने के लिए ट्रेंड हेल्थकेयर वर्कर्स की जरूरत नहीं होती है. नैसल वैक्सीन के पिछले साल आयोजित फेज 1 और फेज 2 ट्रायल में कुल 400 और 650 व्यक्तियों ने भाग लिया था.