
चित्रकूट: उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में हर साल दिवाली के मौके पर एक खास मेले का आयोजन होता है। यह मेला खास और अनोखा इस वजह से है क्योंकि यहां गधे और खच्चर बिकने के लिए आते हैं।
खास बात ये भी है कि इन गधों को खरीदने के लिए सिर्फ जिले और प्रदेश से ही नहीं, बल्कि अन्य प्रदेशों के साथ-साथ पड़ोसी देश नेपाल से भी लोग आते हैं। यहां गधे और खच्चरों की कीमत भी लाखों में लगती है। इस बार इन अनोखे मेले में दीपिका नाम का गधा सबसे महंगा बिका है। इस गधे की कीमत एक लाख 25 हजार लगी थी।
चित्रकूट में लगने वाले पांच दिवसीय दीवाली अमावस्या मेला मंदाकिनी तट पर लगता है। गधे मेले में खच्चरों व गधों को खरीदने और बेचने के लिए यूपी, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र, उत्तराखंड समेत नेपाल देश के विभिन्न जिलों के लोग आते हैं। मेले में गधों की बोली लगाई जाती है। जो भी बोली की रकम अदा करता है उसे गधा सौंप दिया जाता है। मेले में गधों की कीमत एक हजार से लेकर पांच लाख तक लगाई जाती है।
मेले में गधों की लगभग सभी नस्लें होती हैं। व्यापरी इनपर ऑफर के साथ साथ डिस्काउंट भी देते हैं। यह गधा मेला विभिन्न नस्लों के लिए दूर-दूर तक अपनी पहचान रखता है। मेला में गधों के नाम भी व्यापारी ऐसे रखते हैं, जो खरीददार को आकर्षित करे। गधों का नाम फिल्मी सितारों पर रखा जाता है, जिसमें अमिताभ बच्चन, सलमान, शाहरुख जैसे नामों की बोली लगती हैं। इस बार ‘दीपिका’ का नाम गधा सबसे महंगा बिका है। एक शख्स ने इसे एक लाख 25 हजार हजार देकर खरीदा है। गधे मेले में इस बार लगभग 15 हजार गधे आए। दो दिनों के दौरान करीब नौ हजार गधे बिक गए, जिससे इस मेले में करीब 20 करोड़ रुपयों का कारोबार हुआ।
जानकार बताते हैं इस ऐतिहासिक मेले की शुरुआत मुगल बादशाह औरंगजेब ने करवाई थी। दरअसल, मुगल काल में मुगल शासक औरंगजेब के सैन्य बल में घोड़ों की कमी हो गई थी, जिसको पूरा करने लिए यहां गधा मेला लगाया था। जिसमें अफगानिस्तान से बिकने के लिए अच्छी नस्ल के खच्चर लाए गए थे, जिन्हें मुगल सेना में शामिल किया गया था। तब से चली आ रही मेले की यह परंपरा आज भी जारी है।