
Milk Product Prevents Fracture : बचपन से लेकर बड़े होने तक दूध हमारे आहार का सबसे अहम हिस्सा होता है. दूध में इतने सारे पोषक तत्व (Nutrients) हैं कि उसे एक पूर्ण आहार यानी कंप्लीट डाइट (complete diet) भी कहा जाता है.
बचपन से लेकर आज तक हमें दूध पीने के फायदे भी बताए जाते रहे हैं. दैनिक जागरण अखबार में छपी न्यूज रिपोर्ट के अनुसार, इसी क्रम में साइंटिस्टों की एक इंटरनेशनल टीम ने अपनी नई रिसर्च की स्टडी के आधार पर बताया है कि कैल्शियम और प्रोटीन से भरपूर दूध, दही और पनीर जैसे मिल्क प्रोक्ट्स के सेवन से बुजुर्गो में फ्रैक्चर (हड्डियां टूटने) का रिस्क कम होता है. ओल्ड एज होम यानी वृद्धाश्रम (old age home) में रहने वाले लोगों पर की गई ये स्टडी ‘द बीएमजे’ (British Medical Journal) में प्रकाशित हुई है. रिसर्चर्स ने अनुसार इसके आधार पर पब्लिक हेल्थ के प्वाइंट ऑफ व्यू से फ्रैक्चर की रोकथाम में मदद मिल सकती है. आमतौर पर ओल्ड एज होम में रहने वाले लोगों को कैल्शियम और प्रोटीन जैसे तत्वों का कम पोषण मिलता है, जिससे उनकी हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और उनके गिरने और उस कारण हड्डियों के टूटने (फ्रैक्चर) का खतरा बढ़ जाता है.
इसे ध्यान में रखते हुए इस बात की पड़ताल की गई कि क्या कैल्शियम और प्रोटीन से भरपूर दूध, दही और पनीर जैसे डेयरी प्रोडक्ट की मात्र रोजाना की डाइट में बढ़ाना फायदेमंद और सुरक्षित है और क्या इससे बुजुर्गो में फ्रैक्चर के खतरे को कम किया जा सकता है?
इस संबंध में आस्ट्रेलिया, नीदरलैंड्स और अमेरिका के साइंटिस्टों ने यह जानने की कोशिश की कि खाने में अनुशंसित कैल्शियम और प्रोटीन की मात्रा देकर बुजुर्गो में फ्रैक्चर की घटना को कम किया जा सकता है. रोजाना के भोजन में कैल्शियम की अनुशंसित मात्र 1,300 मिलीग्राम है. जबकि शरीर के वजन के हिसाब से प्रति किलो एक ग्राम प्रोटीन दिया जाना चाहिए.
स्टडी का स्वरूप (Nature of Study)
दो साल के ट्रायल के दौरान रिसर्चर्स ने आस्ट्रेलिया के 60 वृद्धाश्रमों का अध्ययन किया. इनमें रहने वाले 7,195 बुजुर्गो में से 72 प्रतिशत महिलाएं थीं. इन सभी की औसत उम्र 86 वर्ष थी. इस दौरान पाया गया कि उनमें विटामिन डी की तो कमी नहीं थी, लेकिन कैल्शियम और प्रोटीन का सेवन अनुशंसित मात्र से कम था.
इसके बाद, इन वृद्धाश्रमों में से 30 में रहने वाले लोगों को अतिरिक्त मात्र में दूध, दही तथा पनीर समेत अन्य डेयरी उत्पात दिए गए ताकि उन्हें रोजाना कम से कम रोजाना 1,142 मिलीग्राम कैल्शियम और प्रति किलो वजन के हिसाब के हिसाब से 1.1 ग्राम प्रोटीन मिल सके. जबकि शेष 30 वृद्धाश्रमों में सामान्य मेन्यू के हिसाब से खाना दिया गया, जिसमें प्रतिदिन 700 मिलीग्राम कैल्शियम तथा 0.9 ग्राम प्रोटीन प्रति किलो वजन के हिसाब से था.
विश्लेषण से क्या निकला निष्कर्ष
पोषण की अतिरिक्त मात्रा दिए गए 30 वृद्धाश्रमों से 27 तथा 29 कंट्रोल (सामान्य) वृद्धाश्रमों के डाटा का विश्लेषण किया गया. इनमें कुल 324 फ्रैक्चर की शिकायत मिली, जिनमें 135 कूल्हे के फ्रैक्चर थे. जबकि 4,303 बुजुर्ग गिरे थे और 1,974 की मौत हो गई. पाया गया कि जिन वृद्धाश्रमों में अतिरिक्त दुग्ध उत्पाद दिए गए, उनके रहवासियों में सभी प्रकार के फ्रैक्चरों की संख्या में 33 प्रतिशत की गिरावट (203 के मुकाबले 121) आई, जबकि कूल्हे के फ्रैक्चर के मामलों में 46 प्रतिशत (93 के मुकाबले 42) की कमी थी.
इसी प्रकार गिरने वालों की संख्या में 11 प्रतिशत (2,423 के मुकाबले 1,879) की कमी थी. उल्लेखनीय यह कि ओस्टियोपोरोसिस के इलाज के लिए दी जाने वाली दवाओं से दुग्ध उत्पादों के रोजाना सेवन का असर सुरक्षित और ज्यादा फायदेमंद रहा.