
क्रूज ड्रग्स मामले में किंग खान शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान गिरफ्तारी के बाद बीते 24 दिनों से हिरासत में हैं। स्पेशल कोर्ट, लोअर कोर्ट और सेशन कोर्ट से आर्यन खान को जमानत नहीं मिलने बाद अब मंगलवार को दायर की गई याचिका पर अब हाई कोर्ट में सुनवाई हुई । इस मामले में अब बुधवार को भी सुनवाई होगी। दिलचस्प बात यह है कि दो दिग्गज वकील सतीश मानशिंदे और अमित देसाई अभी तक आर्यन खान को जमानत नहीं दिलवा पाए। ऐसे में अब हाई कोर्ट में पूर्व अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी आर्यन खान की पैरवी करेंगे। जस्टिस नितिन साम्ब्रे की कोर्ट में मुकुल रोहतगी के साथ वकील सतीश मानशिंदे और अमित देसाई भी मौजूद रहे।
जूनियर वकील बन कर शुरू किया करियर
मशहूर वकील मुकुल रोहतगी ने अपनी कानून की पढ़ाई मुंबई के गवर्नमेंट ला कालेज से की है। वहां से निकलने के बाद रोहतगी ने उस समय के मशहूर वकील योगेश कुमार सभरवाल का जूनियर बनकर प्रैक्टिस शुरू की। ज्ञात हो कि योगेश कुमार सभरवाल 2005-2007 तक देश के 36वें मुख्य न्यायाधीश भी रहे थे। 1993 में दिल्ली हाईकोर्ट ने मुकुल रोहतगी को सीनियर काउंसिल का दर्जा दिया गया और उसके बाद 1999 में रोहतगी एडिशनल सालिसिटर जनरल बन गए।
गुजरात दंगा केस में सरकार का बचाव
मुकुल रोहतगी ने 2002 में हुए गुजरात दंगों में गुजरात सरकार का सुप्रीम कोर्ट में बचाव किया था। इसके अलावा फर्जी एनकाउंटर मामले में भी उन्होंने राज्य सरकार की अदालत में पैरवी की थी। इसके अलावा वह बेस्ट बेकरी केस, जाहिरा शेख मामला, योगेश गौड़ा हत्या मामले भी सुप्रीम कोर्ट में लड़ चुके हैं।
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मुकुल रोहतगी रह चुके हैं देश के अटार्नी जनरल
मुकुल रोहतगी के पिता अवध बिहारी रोहतगी दिल्ली हाईकोर्ट के जज रह चुके थे। उनको 19 जून 2014 को देश का अटार्नी जनरल बनाया गया था। मुकुल 18 जून 2017 तक देश के 14वें अटार्नी जनरल के पद पर रहे। मुकुल रोहतगी देश के जाने माने वकील और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ हैं।
मुकुल ने किया एनसीबी पर प्रहार
पिछले दिनों वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने आर्यन खान को समर्थन किया था। सेशंस कोर्ट से जमानत खारिज होने से पहले मुकुल रोहतगी ने कहा था कि आर्यन को कैद में रखने का कोई उचित कारण नहीं है। उन्होंने एनसीबी पर प्रहार करते हुए कहा कि नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) एक ‘शुतुरमुर्ग’ की तरह है, जिसने अपना सिर रेत में छुपाया हुआ है। आर्यन को एक सेलिब्रिटी के बेटे होने की कीमत चुकानी पड़ रही है।
एक सुनवाई की फीस
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रोहतगी एक सुनवाई के लिए लगभग 10 लाख रुपए की फीस लेते हैं। हालांकि एक RTI में दिए जवाब में महाराष्ट्र सरकार ने बताया था कि उन्होंने सीनियर काउंसिल मुकुल रोहतगी को महाराष्ट्र सरकार की तरफ से जज बीएच लोया केस के लिए फीस के रूप में 1.21 करोड़ रुपए दिए थे।