
भारत में राज्यमार्गों (National Highways, NH) पर 60 प्रतिशत ब्लैक स्पाट (खतरनाक क्षेत्र) को अब दुरुस्त कर दिया गया है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, यहां तीन साल में सड़क दुर्घटनाओं में 28,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
सर्वाधिक मौतें तमिलनाडु में (4,408) हुई और इसके बाद उत्तर प्रदेश (4,218) का स्थान है।
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) ने सूचना का अधिकार (आरटीआइ) अधिनियम के तहत पूछे गए सवाल के जवाब में कहा है कि 2016, 2017 और 2018 में 57,329 सड़क दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार रहे इन ब्लैक स्पाट को दुरुस्त करने के लिए 4,512.36 करोड़ रुपये खर्च किए गए। इन्हें दुरुस्त करने का काम 2019 में शुरू किया गया था।
नोएडा के आरटीआइ कार्यकर्ता अमित गुप्ता ने इस सिलसिले में एनएचएआइ में एक आरटीआइ अर्जी दी थी। इसके जवाब में प्राधिकरण ने कहा, 2015 से 2018 के दुर्घटना के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार कुल 3,966 ब्लैक स्पाट की पहचान की गई। इसने कहा, 2019-20 में 729 ब्लैक स्पाट को दुरुस्त किया गया, जबकि 2020-21 में यह संख्या 1,103 रही। 2021-22 में सितंबर 2021 तक 583 ब्लैक स्पाट को दुरुस्त किया गया।
प्राधिकरण के पास उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, राष्ट्रीय राजमागरें पर 3,996 ब्लैक स्पाट पर कुल 57,329 दुर्घटनाएं हुई, जिनमें 28,765 लोगों की मौत हुई। इसने कहा कि कुल 60.43 प्रतिशत ब्लैक स्पाट दुरुस्त कर दिए गए।
किस राज्य में कितने ब्लैक स्पाट
तमिलनाडु- 496
बंगाल- 450
आंध्र प्रदेश- 357
तेलंगाना- 336
उत्तर प्रदेश- 327
दिल्ली की स्थिति
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 31 ब्लैक स्पाट हैं। 2016 से 2018 के दौरान इन स्थानों पर 772 दुर्घटनाएं हुई, जिनमें 270 लोगों की मौत हुई।
क्या है ब्लैक स्पाट
ब्लैक स्पाट राष्ट्रीय राजमार्गो का करीब 500 मीटर का वह हिस्सा है, जहां तीन वर्षो में पांच सड़क दुर्घटनाएं हुई हों या इन तीन वर्षो में वहां कुल 10 लोगों की जान गई हो। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के मुताबिक, ब्लैक स्पाट खंड के दायरे में वे सड़क दुर्घटनाएं आती हैं, जिनमें लोगों की मौत हुई हो या गंभीर रूप से घायल हुए हों।