
गांधी मैदान सीरियल बम ब्लास्ट (Gandhi Maidan Serial Bomb Blast) में आतंकियों के निशाने पर गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री एवं एनडीए के प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) थे। पूरी योजना छत्तीसगढ़ के रायपुर में बनी थी। आतंकियों ने मानव बम का ट्रायल भी किया था। ट्रायल के लिए रांची स्थित धुर्वा डैम के पास एक गांव को चुना गया। आतंकियों ने चमड़े की जैकेट बना उसमें टाइम बम सेट किया। फिर डैम के पास एक खजूर के पेड़ पर उसे लटका दिया। दो बार रिमोट का बटन दबाकर ट्रायल किया था, लेकिन बम ताकतवर नहीं था। साथ ही रैली के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम में टारगेट चूक न जाए, इस वजह से आतंकियों ने अंतिम समय में भाषण के दौरान सीरियल ब्लास्ट कर दहशत फैलाने की योजना बनाई थी।
मिर्जापुर में खरीदा था बम बनाने का सामान
आतंकियों का कनेक्शन मिर्जापुर से जुड़ा था। उमर और हैदर सहित एक अन्य आतंकी छत्तीसगढ़ के रायपुर में मिले थे। वहीं, तीनों ने अन्य साथियों के साथ मिलकर पहले मानव बम से वारदात को अंजाम देने की योजना बनाई थी। इसके बाद मिर्जापुर गए, जहां अहमद हुसैन से मुलाकात की। अहमद भी दोषी करार दिया गया है। बम बनाने का सामान मिर्जापुर से खरीदा गया था। एनआइए ने मिर्जापुर में छापेमारी कर साक्ष्य जुटाए और वहां से दो लोगों को पकड़ा। दोनों के खिलाफ चार्जशीट पेश की। एक को साक्ष्य के अभाव में आज बरी कर दिया गया।
नौ में पांच बोधगया बम धमाके में करार दिए जा चुके दोषी
पब्लिक प्रासिक्यूटर (पीपी) ललित प्रसाद सिन्हा के अनुसार बोधगया में हुए सीरियल धमाके के बाद पटना में नरेन्द्र मोदी की हुंकार रैली होनी थी। इसमें जिन नौ आतंकियों पर गांधी मैदान सीरियल ब्लास्ट का दोष सिद्ध हो चुका है, उसमें पांच बोधगया में हुए सीरियल ब्लास्ट के अभियुक्त हैं। सभी दोषी करार दिए जा चुके है। सभी सिमी के सदस्य हैं, जो प्रतिबंध के बाद इंडियन मुजाहिदीन में तब्दील हो गया था।
11 के खिलाफ दाखिल की गई थी चार्जशीट
मामले में एनआइए ने 11 अभियुक्तों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। ट्रायल के दौरान एक नाबालिग पाया गया। उसे जुवेनाइल कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया, जबकि एनआइए के स्पेशल कोर्ट में 10 के खिलाफ ट्रायल चल रहा था। एक को साक्ष्य के अभाव में रिहा कर दिया गया। नौ में छह के खिलाफ आइपीसी की धारा 302, 120 बी सहित यूएपीए एक्ट के तहत कई अन्य चार्ज लगे हैं।