
देश में भयावह होती जनसंख्या की समस्या को देखते हुए दो बच्चा नीति लागू करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। इसमें सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पक्षकार बनाने और देश में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर उपाय करने की मांग की गई है।
प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव
याचिका में कहा गया है कि बढ़ती जनसंख्या के कारण प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव पड़ रहा है। उपाध्याय ने दो बच्चा नीति लागू करने की मांग को लेकर पहले दिल्ली हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी, लेकिन हाईकोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया था।
केंद्र परिवार नियोजन थोपने को तैयार नहीं
जनसंख्या नियंत्रण के उपायों को लेकर पूर्व में भी सुप्रीम कोर्ट में मामले दायर होते रहे हैं। पिछली बार ऐसे ही एक मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि भारत में परिवार नियोजन जनता पर थोपना ठीक नहीं होगा। इसका विपरीत असर देखने को मिल सकता है। देश की डेमोग्राफी में परिवर्तन हो सकता है।
अपने हलफनामे में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि देश में परिवार नियोजन कार्यक्रम को लेकर जागरूकता अभियान जारी है। सरकार चाहती है कि जनता अपनी समझ से परिवार नियोजन करे। उस पर किसी तरह का दबाव न डाला जाए।
हमारी आबादी चीन से ज्यादा?
याचिका में कहा गया है कि दिल्ली हाई कोर्ट स्वच्छ हवा के अधिकार, पेयजल, स्वास्थ्य, शांतिपूर्ण नींद, शेल्टर, आजीविका और सुरक्षा की गारंटी देने वाले संविधान के अनुच्छेद 21 को मजबूत करने में सफल नहीं रहा है। जनसंख्या विस्फोट के चलते इन अधिकारों की रक्षा का कोई काम नहीं हो पा रहा है। हाई कोर्ट में दाखिल अर्जी में दावा किया गया था कि भारत आबादी के मामले में चीन से भी आगे निकल गया है। देश की 20 फीसदी आबादी के पास आधार कार्ड नहीं हैं। देश में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या और बांग्लादेशियों को जोड़ लिया जाए तो फिर यह संख्या चीन से ज्यादा है। याचिका में यह भी कहा गया था कि जनसंख्या विस्फोट के कारण ही जघन्य अपराध बढ़ रहे हैं। दुष्कर्म व घरेलू हिंसा जैसे मामले इसकी देन हैं।