
Solitude had Positive Effects in Pandemic : कोरोना काल में हुए लॉकडॉउन (Lockdown) में बहुत से लोगों को घर में ही रहना पड़ा. इनमें कुछ लोग तो ऐसे थे, जो अपने परिवार के साथ थे, और कुछ ऐसे थे जिन्होंने अकेले में रहकर समय बिताया.
अब एक नई स्टडी से पता चला है कि कोरोना महामारी के दौरान एकांत (Solitude) में बिताए समय ने सभी आयु वर्ग के लोगों पर सकारात्मक प्रभाव यानी पॉजिटिव असर (Positive impact) डाला है. 2000 से अधिक किशोरों और वयस्कों के बीच की गई स्टडी में सामने आए निष्कर्ष के मुताबिक कोरोना महामारी के शुरुआती दिनों में ज्यादातर लोगों ने एकांत से लाभ का अनुभव किया. स्टडी के तहत शोधकर्ताओं ने यूके में लोगों का इंटरव्यू लिया, जिसके बाद रिसर्चर्स ने इसका निष्कर्ष निकाला है.
इस स्टडी के निष्कर्ष को फ्रंटियर्स इन साइकोलॉजी (Frontiers in Psychology) में प्रकाशित किया गया है. स्टडी के मुताबिक महामारी के दौरान एकांत रहने के दौरान सभी आयु समूहों ने सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों का अनुभव किया. हालांकि, इस स्टडी में शोधकर्ताओं ने पाया है कि एकांत में लोगों में नकारात्मक प्रभाव की तुलना में सकारात्मक प्रभाव ज्यादा शामिल थे. आलम यह रहा कि सकारात्मकता का अनुभव औसतन 7 में से 5 रहा है.
स्टडी में शामिल कुछ प्रतिभागियों ने एकांत में रहने की वजह से बिगड़ती मनोदशा में बात की, लेकिन ज्यादातर ने एकांत के अपने अनुभवों को महसूस करने, सक्षम (Capable ) और स्वायत्त (Autonomous) महसूस करने के संदर्भ में वर्णित किया. स्टडी में शामिल सभी उत्तरदाताओं (Respondents) में से 43 फीसदी ने उल्लेख किया कि एकांत में गतिविधियों और योग्यता (Activities and Qualifications) के अनुभव शामिल हैं, जिसमें कौशल निर्माण और गतिविधियों पर खर्च किया गया समय शाामिल है.
एकांत और अकेलेपन में अंतर
एकांत और अकेलेपन दोनों शब्दों के अर्थ अलग-अलग हैं. जब किसी व्यक्ति के जीवन में परेशानियां चल रही होती है, उसे समस्याओं को दूर करने का कोई उपाय नहीं मिल रहा होता है, तब वह निराश होने लगता है और भीड़ में अकेलापन महसूस कर सकता है. जबकि एकांत आनंद देता है.
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कामकाजी लोगों में ज्यादा नकारात्मक अनुभव मिले
स्टडी के मुताबिक कोविड महामारी के दौरान एकांत में रहने की वजह से कामकाजी उम्र के लोगों ने अन्य प्रतिभागियों के साथ सबसे अधिक नकारात्मक अनुभव दर्ज किए. यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग (university of reading) में मनोविज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर और स्टडी की प्रमुख लेखक डॉ नेट्टा वेनस्टीन (Netta Weinstein) ने कहा, हमने 2020 की गर्मियों में स्टडी की थी, तब यूके में पहला नेशनल लॉकडाउन खत्म होने को था. पारंपरिक ज्ञान यह है कि महामारी एक नकारात्मक अनुभव था, लेकिन हम अपने अध्ययन में देखते हैं कि एकांत के घटक कैसे सकारात्मक हो सकते हैं.
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ब्रिटेन में महामारी के उन पहले कुछ महीनों के दौरान कामकाजी वयस्कों की बिगड़ती मनोदशा को लेकर सबसे अधिक संभावना थी, लेकिन कामकाजी लोगों की उस बिगड़ती मनोदशा का उतना उल्लेख नहीं किया जाता, जितना कि एकांत से मिले सकारात्मक अनुभव का किया जाता है.