
Baba Neem Karoli Kainchi Dham: उत्तराखंड में हिमालय की तलहटी में बसा एक छोटा सा आश्रम है. नाम है- नीम करोली बाबा आश्रम. एकदम शांत, साफ-सुथरी जगह, हरियाली, सुकून. समुद्र तल से 1400 मीटर की ऊंचाई पर स्थि नैनीताल-अल्मोड़ा मार्ग पर स्थित यह आश्रम धर्मावलंबियों के बीच कैंची धाम के रूप में लोकप्रिय है. यह आश्रम बनाया गया है, बाबा नीम करोली महाराज जी के समर्पण में. हिंदू आध्यात्मिक गुरु के रूप में पूजे जाने वाले बाबा नीम करोली हनुमान जी के बहुत बड़े भक्त थे. उनको मानने वाले उन्हें हनुमान जी का ही अवतार मानते थे. आइए जानते हैं उनके और कैंची धाम के बारे में.

नीम करोली या नीब करोली बाबा की गिनती 20वीं सदी के महान संतों में की जाती है. उनका जन्म उत्तर प्रदेश में फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गांव में हुआ था. नैनीताल, भुवाली से 7 किलोमीटर दूर कैंची धाम आश्रम की स्थापना बाबा ने 1964 में की थी. 1961 में वे यहां पहली बार पहुंचे थे और अपने एक मित्र पूर्णानंद के साथ आश्रम बनाने का विचार किया था. केवल उत्तराखंड में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी बाबा के चमत्कारों की चर्चा होती है. फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बाबा के बारे में चर्चा कर चुके हैं.

कहा जाता है कि बाबा नीम करोली को 17 वर्ष की आयु में ही ईश्वर के बारे में बहुत विशेष ज्ञान हो गया था. हनुमान जी को वे अपना गुरु और आराध्य मानते थे. बाबा ने अपने जीवन में करीब 108 हनुमान मंदिर बनवाए. मान्यता है कि बाबा नीब करौरी को हनुमान जी की उपासना से अनेक चमत्कारिक सिद्धियां प्राप्त थीं. हालांकि वह आडंबरों से दूर रहते थे. एकदम आम आदमी की तरह जीने वाले बाबा नीम करोली तो अपना पैर भी छूने नहीं देते थे. ऐसा करने वालों को वे हनुमान जी के पैर छूने को कहते थे.

उन्हें इस युग के दिव्य पुरुषों में से एक माना जाता है. उत्तराखंड स्थित कैंची धाम में जब जून में वार्षिक समारोह होता है तो उनके भक्तों की खूब भीड़ लगती है. कैंची धाम में न केवल भारत के विभिन्न राज्यों, बल्कि विदेशों से भी उनके अनुयायी यहां पहुंचते हैं. पीएम मोदी, हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया राबर्ट्स, एप्पल के फाउंडर स्टीव जाब्स और फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग जैसी हस्तियां भी बाबा के भक्तों में शामिल हैं. ये लोग कैंची धाम आश्रम भी आ चुके हैं.

बाबा नीब करौरी के इस पावन धाम को लेकर कई तरह के चमत्कारिक किस्से बताए जाते हैं. एक जनश्रुति ये है कि भंडारे के दौरान एक बार घी की कमी पड़ गई थी, तब बाबा के आदेश पर नीचे बह रही नदी से कनस्तर में जल भरकर लाया गया. प्रसाद के लिए जब इस्तेमाल किया गया तो जल घी में बदल चुका था. एक और जनश्रुति है कि बाबा ने कड़ी धूप में अपने एक भक्त के लिए बादल की छतरी बनाकर उसे मंजिल तक पहुंचाया था. बाबा के भक्त और जाने-माने लेखक रिचर्ड अल्बर्ट ने ‘मिरेकल आफ लव’ नाम से बाबा पर लिखी पुस्तक में उनके चमत्कारों का वर्णन किया है.