
आपने देखा होगा कि कड़ाके की ठंड में भी न्यू ईयर की पार्टी हो या कोई शादी, महिलाएं गरम कपड़े पहनने से परहेज़ करती हैं. ऐसे में ये सवाल (Interesting Facts) आपके भी मन में आया होगा कि आखिर उन्हें कम कपड़ों में क्या ठंड नहीं लगती?
कुछ ऐसे देश हैं, जहां 12 महीने ठंड पड़ती है, वहां भी नाइट क्लब में लड़कियां छोटे लिबास पहनकर जाती हैं, तो भला कैसे मैनेज करती होंगी? इस आम से सवाल का अब ‘वैज्ञानिक’ जवाब मिल चुका है.
ब्रिटिश जर्नल ऑफ सोशल साइकोलॉजी ( British Journal of Social Psychology) में इसे लेकर एक स्टडी पब्लिश की गई, जिसमें वैज्ञानिकों ने बाकायदा इस बात पर रिसर्च पेश किया है कि छोटे कपड़ों में कैसे ठंड को मात दे जाती हैं खूबसूरत लड़कियां ? उन्होंने साल 2014 में इस बाबत किए गए कार्डी बी के दावे पर भी रिसर्च किया है.
खुद को ऑब्जेक्ट मानने लगती हैं लड़कियां
स्टडी में शामिल फेलिग नाम के रिसर्चर ने TikTok के ज़रि अपनी खोज को लोगों तक पहुंचाया था. उन्होंने कहा कि जब भी कोई महिला खुद को ऑब्जेक्ट समझने लगती है, तो वो अपनी आंतरिक स्थिति को पहचानने की कोशिश ही नहीं करती. कार्डी बी ने भी अपनी रिसर्च में यही कहा था. नई रिसर्च में शोधकर्ता घोर ठंड में महिलाओं से क्लब में बातचीत करने पहुंचे. 4 से 10 डिग्री के तापमान में भी ये महिलाएं कम कपड़ों में थीं और उन्होंने ठंड का एहसास नहीं हो रहा था.
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जब तक त्वचा महसूस होती है, ठंड लगती है
आखिरकार वैज्ञानिकों ने रिसर्च का नतीजा ये निकाला कि ठंड तब तक ही लगती है, जब तक कि आप मानसिक तौर पर अपनी स्किन से जुड़े रहते हैं. जो महिलाएं अपना ध्यान सेल्फ ऑब्जेक्टिफिकेशन पर लगा देती हैं और अपनी बाहरी सुंदरता पर ध्यान केंद्रित कर देती हैं, उन्हें सर्दी का एहसास भी कम होता है. जिनका फोकस दिखावे पर कम होता है, उन्हें सर्दी का एहसास होता है, जबकि जिनका ध्यान अपने लुक पर ज्यादा होता है, उन्हें कम कपड़ों में भी सर्दी का एहसास नहीं होता.